पीएम ने नये संसद भवन का भूमि पूजन कर किया शिलान्यास, निर्माण कार्य 2022 तक पूरा करने की तैयारी

पीएम ने नये संसद भवन का भूमि पूजन कर किया शिलान्यास, निर्माण कार्य 2022 तक पूरा करने की तैयारी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूवार को संसद के नये भवन के निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के बाद शिलान्यास किया। नये संसद भवन की आधारशिला रखनें के दौरान सर्व-धर्म प्रार्थना की गई। कार्यक्रम में हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध, यहूदी, जैन एवं अन्य धर्मो के धर्मगुरू मौजूद रहे। जिन्होंने प्रार्थना की।

नये भवन के निर्माण का काम वर्ष 2022 तक पूरा करने की योजना है। ताकि आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर नये भवन में संसद का सत्र आयोजित किया जा सके। भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंष व अन्य कई मंत्रियों के अलावा उद्योगपति व टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष रतन टाटा और अनेक देशो के राजदूत शामिल रहे।


इस मौके पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में अब भारतीयता के विचारों के साथ नई संसद बनने जा रही है, हम देशवासी मिलकर संसद के नए भवन को बनाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं वो दिन कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में पहली बार सांसद के तौर पर मैं संसद भवन पहुंचा था और मैंने लोकतंत्र के इस मंदिर को सिर झुकाकर प्रणाम किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र एक संस्कार है। भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य है, जीवन पद्धति है, राष्ट्र जीवन की आत्मा है। उन्होंने कहा कि विडंबना देखिए आज भारत का लोकतंत्र हमें पश्चिमी देशों से समझाया जाता है। जब हम विश्वास के साथ अपने लोकतांत्रिक इतिहास का गौरवगान करेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया भी कहेगी- भारत लोकतंत्र की जननी है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वाद-संवाद संसद के भीतर हो या संसद के बाहर इससे राष्ट्रसेवा का संकल्प झलकना चाहिए। उन्होंने देशवासियों से ये प्रण लेने को कहा कि हमारे लिए देशहित से बड़ा और कोई हित कभी नहीं होगा।

चार मंजिला बनने वाले नये संसद भवन के निर्माण में 971 करोड रूपये की लागत का अनुमान है। संसद का नवीन भवन 64500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनकर तैयार होगा। निर्माण कार्य पूरा करने की अवधि दो साल की रखी गई है। जिससे की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्ष गांठ पर नये भवन में संसद का सत्र आयोजित किया जा सके। नये संसद भवन निर्माण की परियोजना को पूर्ण करने का जिम्मा टाटा प्रोजेक्ट को सौंपकर उसके साथ अनुबंध किया गया है।




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