महिलाओं को शक्ति सम्‍पन्‍न बनाने से समाज शक्ति सम्‍पन्‍न बनता है : स्मृति ईरानी

महिलाओं को शक्ति सम्‍पन्‍न बनाने से समाज शक्ति सम्‍पन्‍न बनता है : स्मृति  ईरानीThe Union Minister for Women & Child Development and Textiles, . Smriti Irani delivering the closing remarks, at a seminar on : The Future of Work: Women in India’s Workforce, in New Delhi on March 06, 2020. The Special Secretary, Ministry of Women & Child Development, Ajay Tirkey and the Country Director India, World Bank, Dr. Junaid Kamal Ahmad

महिला उद्यमियों और उनके कौशल के लिए सरकार के हस्‍तक्षेप पर चर्चा

नई दिल्ली महिला और बाल विकास मंत्रालय तथा विश्‍व बैंक ने नई दिल्‍ली में ''काम का भविष्‍य : भारत के श्रम-बल में महिलाएं'' विषय पर एक चर्चा का आयोजन किया। महिला और बाल विकास मंत्री स्‍मृति जुबिन ईरानी ने विश्‍व बैंक के कंट्री डॉयरेक्‍टर डॉ. जुनैद कमाल अहमद के साथ कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महिला उद्यमियों और अन्‍य साझेदारों के साथ खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग में सचिव पुष्‍पा सुब्रमह्यम, कौशल विकास और उद्यमिता सचिव प्रवीण कुमार, वित्‍तीय संयुक्‍त सेवाओं के अपर सचिव संजीव कौशिक तथा मंत्रालय में विशेष सचिव अजय तिरके उपस्थित थे।




यह कार्यक्रम व्‍यवसाय में शामिल महिलाओं, समर्थवान महिलाओं और सार्वजनिक, निजी और नागरिक समाज संगठनों की उपलब्धियों का जश्‍न बनाने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस-2020 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्‍सा है।





स्मृति जुबिन ईरानी ने अपने समापन भाषण में कहा कि महिलाओं का अपने जीवन के शुरूआती दिनों में अपने पोषण पर जल्दी निवेश करना एक सामाजिक निवेश है क्योंकि यह एक सक्षम कार्यबल का निर्माण करता है। उन्होंने कहा कि लैंगिक भेदभाव एक वैश्विक चुनौती है और भारत ने लैंगिक मुद्दों पर आगे बढ़कर नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि अब निराशा को छोड़ने का वक्‍त आ गया है। उन्होंने बताया कि अब से सरकार की कोई भी नीति या एजेंडा निराशा और भय पर आधारित नहीं होगा।

महिला और बाल विकास मंत्री ने कहा कि महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पहली बार एक आहार योजना, तैयार की गई है और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ इसे साझा किया है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष घरेलू हिंसा के एक लाख मामले दर्ज होते हैं और लिंग-तटस्थ समाज बनाने के लिए न केवल लड़कियों को शक्ति सम्‍पन्‍न बनाना जरूरी है बल्कि उन लड़कों को भी उठाना जरूरी है जो लैंगिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं। इसके लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय निमहंस के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि देश के सभी जिलों में काउंसलिंग सुनिश्चित हो सके और काउंसलर की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके।

भारत की विकास गाथा में महिलाओं की केन्‍द्रीय भूमिका, महिलाओं को विकास सम्‍पन्‍न बनाने और महिला उद्यमियों की गाथा पर चर्चा के तीन सत्र आयोजित किए गए। इसके अलावा उनके कौशल और प्रशिक्षण तथा जो महिलाएं अपना व्‍यवसाय स्‍थापित करना चाहती है, बैंक ऋण लेना चाहती है और कार्यबल में शामिल होना चा‍हती है उनके सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए महिला उद्यमियों के लिए विभिन्न सरकारी हस्तक्षेपों के बारे में चर्चा की गई। भारत में महिलाओं को मिलाकर केवल 23 प्रतिशत श्रम-बल और पाँच लड़कियों में से एक लड़की का विवाह 20 वर्ष की आयु से पहले हो जाता है, बीच में ही स्‍कूल की पढ़ाई छोड़ देने वाली लड़कियों की दर अधिक है। बच्‍चों की देखभाल, घरेलू कार्य और कार्यबल में महिलाओं के लिए अनुकूल माहौल की कमी के कारण भारत में श्रम-बल काफी कम है। हालाँकि इस समस्या का कोई त्वरित समाधान नहीं है, लेकिन सरकार विभिन्‍न नीतियों और योजनाओं जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, मु्द्रा, कौशल विकास, स्टैंड-अप इंडिया और पोषण जैसी विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से श्रम-बल में महिलाओं को बढ़ाने उन्‍हें सशक्त बनाने और रोजगार के लिए सभी प्रयास कर रही है।

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