मुसलमानों को जगह न देना देश की गंगा जमनी तहज़ीब पर बड़ा हमला : फैसल लाला

मुसलमानों को जगह न देना देश की गंगा जमनी तहज़ीब पर बड़ा हमला : फैसल लाला
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उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के स्वयंभू नेता आज़म खान इतने संवेदनशील बिल पेश होने के मौके पर सदन से गैरहाज़िर रहे। जौहर विश्वविद्यालय में चल रहे कार्यक्रम में मसरूफ़ थे

अंग्रेजों की तरह मोदी सरकार धर्म के आधार पर देश को तोड़ने की कितनी भी कोशिशें कर ले लेकिन हिंदू-मुसलमान के दिल के रिश्ते को नही तोड़ सकती।

रामपुर फैसल खान लाला ने जारी बयान में कहा कि मोदी सरकार अंग्रेजों की तर्ज़ पर देश के लोगों को बांटकर लंबे समय तक देश पर राज करना चाहती है नागरिकता संशोधन बिल उसका उदाहरण है बिल में मुसलमानों को जगह न देना न सिर्फ देश की गंगा जमनी तहज़ीब पर बड़ा हमला है बल्कि देश में अराजकता का माहौल बनाना है, सरकार चाहें कितना भी फर्क कर ले धर्म के आधार पर देश को तोड़ने की कितनी भी कोशिश करले लेकिन हिंदू-मुसलमान के एक दूसरे से जुड़े दिल के रिश्तों को नही तोड़ सकती,

क्या है नागरिकता संशोधन बिल (CAB) समझें

सरकार की मंशा साफ है पहले CAB लागू करके मुसलमानों को उससे दूर रखा गया है अब NRC लागू करके देश में 1971 से रह रहे लोगों को निकाला जाएगा, CAB लागू होने की वजह से मुसलमानों के आलाव सभी धर्म के लोगों को NRC के बाद भी देश की नागरिकता दी जा सकती है क्योंकि नागरिकता संशोधन बिल(CAB) के आधार पर मुसलमानों को नागरिकता नही दी जा सकती इसलिए NRC सिर्फ मुसलमानों पर ही लागू होगी यह मंसूबा देश से बड़ी तादाद में मुसलमानों को बाहर निकालने या देश के अंदर ही मुसलमानों को बेगार कैम्प में डालने की बड़ी साज़िश है। साथ ही कैब संविधान के आर्टिकल 14 का खुला उल्लंघन है जिसमें साफ कहा गया है कि धर्म, जाति और रंग के आधार पर किसी के साथ नागरिकता में भेदभाव नही किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के स्वयंभू नेता आज़म खान इतने संवेदनशील बिल पेश होने के मौके पर सदन से गैरहाज़िर रहे जिससे ज़ाहिर है कि आज़म खान सिर्फ अपने और अपने परिवार का तहफ़्फ़ुज़ चाहते हैं आज़म को आम मुसलमानों से कोई सरोकार नही है, मुसलमानों की जिस आवाज़ को हिंदुस्तान की पार्लियामेंट में उठना चाहिए था वह आवाज़ रामपुर स्थिति जौहर विश्वविद्यालय के अंदर चल रहे रंगारंग कार्यक्रम में डूब गई। आज़म ने पहले ही बेजेपी से सौदा करके अपनी पत्नि को राज्यसभा से इस्तीफा दिलाकर विधायक बनवाया था ताकि किसी भी बिल को राज्यसभा में पास कराने में मोदी सरकार को परेशानी न हो, कल जब CAB बिल लोकसभा में पेश हुआ तो आज़म खान मुसलमानों के नाम पर बने जौहर विश्वविद्यालय के अंदर चल रहे रंगारंग कार्यक्रम में मसरूफ़ थे। CAB बिल लोकसभा में पास हो जाने के बाद आज़म ने उसके विरोध में मात्र अपने घर से प्रेस को औपचारिक बयान भेजकर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी की जो मुझ जैसा कोई भी आम आदमी कर सकता है फिर ऐसे आदमी को सांसद बनाने का क्या फायदा ?


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