टैटू वाली लड़की के कातिल को जिंदा नहीं पकड़ पाई पुलिस, 8 साल तक दिया चकमा, अस्पताल में मौत

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नई दिल्ली। कहा जाता है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं, लेकिन दिल्ली में गर्लफ्रेंड का कत्ल कर लाश को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर बैग में रख भागने के आरोपी को पकड़ने ये हाथ शायद छोटे पड़ गए। आरोपी अपनी मौत तक पुलिस से बचा रहा। इस सनसनीखेज मामले का आरोपी पहचान बदलकर राजधानी से सटे गुड़गांव में ही जाॅब कर रहा था और पुलिस को 8 साल बाद उसकी सिर्फ लाश मिली।11 फरवरी, 2011 को राजू ने नीतू की हत्या कर बैग में शव डालकर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया था। उसके बाद वह रोहन दहिया के नाम से रहने लगा और एक कंपनी में जाॅब भी कर रहा था। पुलिस ने राजू के परिवार को इसकी जानकारी दी तो परिजन पहले पहचान से इनकार करने लगे। आखिरकार उसके चाचा रण सिंह गहलोत, जो दिल्ली पुलिस से रिटायर्ड एसीपी हैं, ने उसकी पहचान कर ली।

नवादा का राजू गहलोत और मटियाला की नीतू सोलंकी 2010 में करीब आए और साथ रहने लगे। दोनों के गोत्र एक थे, इसलिए शादी के लिए परिजनों की इजाजत नहीं मिलने का डर उन्हें सता रहा था। लाॅ ग्रैजुएट होने के बावजूद काॅल सेंटर में काम करने वाली नीतू ने मार्च 2010 में परिजनों से सिंगापुर में जाॅब लगने की बात कही और गायब हो गई। राजू ने भी अप्रैल 2010 में एयर इंडिया से जाॅब छोड़ दी। ये दोनों मुंबई, गोवा और बेंगलुरू में रहते रहे। आठ साल तक क्राइम ब्रांच और राजू के बीच चूहे-बिल्ली का खेल चला, जो 25 जून को तब खत्म हुआ जब गुड़गांव के अस्पताल में लीवर की बीमारी से उसकी मौत हो गई। क्राइम ब्रांच के मुताबिक, 11 फरवरी 2011 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बैग में लाश मिली थी। कमर पर मोर पंख का टैटू था। इस टैटू के आधार पर ही 15 दिन बाद लाश की पहचान नीतू के तौर पर हुई थी। इसके बाद काफी ढूंढने के बाद भी राजू गहलोत नहीं मिला।

जब पैसे खर्च हो गए तो फिर दोनों ने दिल्ली में अपना आशियाना बना लिया लेकिन दोनों के बीच पैसों को लेकर दरार बढ़ने लगी तो राजू ने नीतू का मर्डर कर दिया। सूत्रों के मुताबिक जाॅब छोड़कर राजू स्नैचिंग और ब्लैकमेल में जुट गया था, इससे नीतू खफा थी और दोनों के बीच इसी बात को लेकर अकसर झगड़े होने लगे थे। इस केस में 2 मार्च 2011 को राजू के बुआ के लड़के नवीन शौकीन को गिरफ्तार किया गया। उसने बताया कि राजू और नीतू में झगड़ा होता था। गुस्से में आकर उसने नीतू की हत्या कर दी। लाश को चलती ट्रेन में रखने के इरादे से वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचा था, लेकिन वहां स्कैनर लगा देख लाश वहीं छोड़ दी और फरार हो गया।

क्राइम ब्रांच के एक अफसर ने बताया कि इंस्पेक्टर रितेश कुमार ने इस केस में काफी काम किया। दिल्ली पुलिस की 10 मोस्ट वाॅन्टेड की लिस्ट में शुमार रहे राजू गहलोत के कई बार करीब पहुंचे, लेकिन दबोचने से रह गए। राजू के गोवा में होने की लीड मिली तो क्राइम ब्रांच की टीम ने मई-जून में डेढ़ महीने तक वहां डेरा डाला। कसीनो से लेकर होटलों में उसकी खोज की, लेकिन वह आगे चलता रहा और टीम उसके पीछे।

क्राइम ब्रांच की टीम ने दिल्ली आकर राजू के परिवार के करीबियों को अपने भरोसे में लिया। एक परिजन ने बताया कि कोई बाहर से लेटर आया है। इंस्पेक्टर रितेश कुमार घर पहुंचे और कड़ी पूछताछ की तो लेटर में सिम मिला। इसमें अपने भाई को लिखा था कि नया फोन लो और इस सिम काॅो डालो, फिर बात करो। जांच करने पर यह सिम मुंबई के परेल के अड्रेस पर लिया था, वहां छापा मारा तो स्टेशन के बाहर छाते पर सिम बेचने वाले के नाम पर लिया गया था।

अगस्त 2011 में मुंबई के कल्याण से एक लैंडलाइन से काॅल आई, जांच करने पर सामने आया कि वहां के थाने के काॅल सेंटर से यह फोन आया है। जांच अफसरों ने यहां बगैर डाॅक्यूमेंट के इंटरव्यू दिया और सिलेक्ट हो गए। ऐसा करने पर उन्होंने काॅल सेंटर के अफसरों को खंगाला तो कुछ नहीं मिला क्योंकि खबर लगने पर आरोपी यहां से भी फरार हो चुका था।

आखिर खत्म हुआ केसः 25 जून 2019 को गुड़गांव के हाॅस्पिटल से जब राजू ने अपने घर काॅल किया तो उसके एक रिलेटिव ने इंस्पेक्टर रितेश को इसकी जानकारी दी, जो अपनी टीम को लेकर गुड़गांव पहुंचे तो राजू की मौत हो चुकी थी।

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