पीयूष गोयल ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्‍स नीति के मसौदे की समीक्षा की

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नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्‍स नीति के मसौदे और वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के लॉजिस्टिक्‍स विभाग द्वारा तैयार की गई नीति के कार्यान्‍वयन के लिए प्रस्‍तावित कार्य योजना की समीक्षा की। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्‍स नीति के मसौदे को रेल, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, शिपिंग और नागरिक उड्ययन मंत्रालयों के साथ सलाह-मशविरा करके तैयार किया गया है। साझेदारी करने वाली सरकारी एजेंसियों (पीजीए) से प्राप्‍त 46 जानकारियों एवं सूचनाओं का विस्‍तार से विश्‍लेषण किया गया, ताकि नीति के अंतर्गत इन पर विचार किया जा सके।

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री ने अपने आरंभिक संबोधन में अनुरोध करते हुए कहा कि सभी चारों मंत्रालयों एवं उनके विभागों को मौजूदा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से अवश्‍य ही लाभ उठाना चाहिए जिससे कि वे लॉजिस्टिक्‍स चेन में एक-दूसरे को आवश्‍यक सहयोग दे सकें। उन्‍होंने कहा कि इससे न केवल क्षमता उपयोग को अधिकतम स्‍तर पर पहुंचाने में, बल्कि लागत घटाने में भी मदद मिलेगी।

मंत्री पीयूष गोयल ने निर्देश दिया कि सभी चारों मंत्रालयों को निश्चित तौर पर आपस में समुचित तालमेल के साथ काम करना चाहिए, जिससे कि भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) की 14 प्रतिशत लॉजिस्टिक्‍स लागत को घटाकर 9 प्रतिशत के स्‍तर पर लाया जा सके। बैठक के दौरान रेलवे, नागरिक उड्ययन, शिपिंग एवं अंतर्देशीय जल मार्गों, सड़क परिवहन, रोपवे वेयरहाउसिंग और शीत श्रृंखला (कोल्‍ड चेन) से संबंधित लॉजिस्टिक्‍स के सभी पहलुओं पर विस्‍तार से विचार-विमर्श किया गया।

मंत्री पीयूष गोयल ने संबंधित मंत्रालयों से कहा कि खाद्यान्न, फलों और सब्जियों की उपज को खेत से बाजार तक पहुंचाने के लिए ऐसे ठोस प्रयास निश्चित तौर पर किए जाने चाहिए जिससे कि इस कार्य में कम से कम समय की बर्बादी हो। उन्‍होंने यह भी कहा कि विशेषकर फलों, सब्जियों और जल्‍द खराब होने वाली उपज के लिए देश भर में कोल्‍ड चेन से जुड़ी केंद्रीय योजना को लॉजिस्टिक्‍स नीति के मसौदे की कार्य योजना का हिस्‍सा बनाया जा सकता है, ताकि इससे दक्षता बढ़े और किसानों को कृषि उपज संबंधी नुकसान कम हो सके।

समीक्षा बैठक के दौरान रेल भाड़े को तर्कसंगत बनाने और समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के लिए माल ढुलाई नीति से संबंधित मुद्दों पर विस्‍तार से विचार-विमर्श किया गया क्‍योंकि इसमें परिवहन साधन में बदलाव के लिए तात्कालिक निहितार्थ हैं।

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि जब भी किसी नई सड़क, रेल, हवाई अड्डा और शिपिंग बंदरगाह परियोजना पर विचार किया जाए, तो लॉजिस्टिक्‍स विभाग को सलाह-‍मशविरा प्रक्रिया का एक हिस्‍सा अवश्‍य बनाया जाना चाहिए, जिससे समग्र ढंग से समुचित नियोजन (प्‍लानिंग) संभव होगा, माल ढुलाई तर्कसंगत हो पाएगी और या‍त्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार भारत का लॉजिस्टिक्‍स सेक्‍टर 22 मिलियन से भी अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है और इस सेक्‍टर में स्थितियों को बेहतर बनाने से अप्रत्‍यक्ष लॉजिस्टिक्‍स लागत में 10 प्रति‍शत की कमी संभव होगी जिससे निर्यात में 5 से 8 प्रतिशत तक का इजाफा होगा। इसके अलावा, आर्थिक सर्वेक्षण में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत के लॉजिस्टिक्‍स बाजार का आकार अगले दो वर्षों में बढ़कर लगभग 215 अरब अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा, जबकि फिलहाल इसका आकार 160 अरब अमेरिकी डॉलर का है।

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय लॉजिस्टिक्‍स नीति तैयार कर रहा है जिससे कि भारत की व्‍यापार संबंधी प्रतिस्‍पर्धी क्षमता बेहतर हो सके, और ज्‍यादा रोजगारों का सृजन हो सके, वैश्विक रैंकिंग में भारत का प्रदर्शन बेहतर हो सके तथा भारत के एक लॉजिस्टिक्‍स केंद्र (हब) बनने का मार्ग प्रशस्‍त हो सके।

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