5 दशक से उगल रहा नरक के दरवाजे को बंद करने का राष्ट्रपति का हुक्म

5 दशक से उगल रहा नरक के दरवाजे को बंद करने का राष्ट्रपति का हुक्म

नई दिल्ली। जमीन पर स्वर्ग व नरक का जिक्र किया जाता है लेकिन कुछ लोग इसका बेकार मानते हैं। खोज के दौरान हुए एक गड्ढे को नकर की उपमा दी गई है। अब वहां के राष्ट्रपति ने इसे बंद करने का आदेश दिया है लेकिन कई बार बंद करना का प्रयास फैल हो चुका है। इस जगह पर लोग घूमने भी जाते हैं।

मिली जानकारी के अनुसार तुर्कमेनिस्तान के कारकुम रेगिस्तान में एक करीब 229 फीट चौडे गड्ढा है, जिसमें से निरंतर गैस निकल रही है। वहां के राष्ट्रपति गुरबांगुली ने निर्देश देतेे हुए कहा कि इस आग को बुझाने और इसे बंदर करने का प्रयाय प्रारंभ किया जाये। बताया जा रहा है कि वर्ष 1971 में काराकुम के रेगिस्तान में सोवियत संघ के वैज्ञानिक कच्चे तेल के भंडार की खोज कर रहे थे। वैज्ञानिकों यहां पर पाकृतिक गेस के भंडार मिले, लेकिन इसी दौरान वहां की जमीन धंस गई और कई बडे-बडे गड्ढे हो गये। बताया जा रहा है कि इन गड्ढों से रिसने का डर था और इसे रोकने की वजह से ही वैज्ञानिकों ने एक गड्ढे मे आग लगा दी थी, जिससे कि मीथेन समाप्त हो जाये और आग बुझ जाये लेकिन आग नहीं बुझी।

उस दौर से ही गड्ढे में से आग निकल रही है। इसी के निकट दरवाजा भी है, जिसे दरवाजा गैस क्रेटर कहा जाता है और कुछ लोग इसे नरक दरवाजा भी कहते हैं। बताया जा रहा है कि वर्ष 2010 में भी वैज्ञानिकों ने इस गड्ढे को बंद करने का प्रयास किया तो, जिससे की आग बुझ जाये, यह वैज्ञानिक भी इसमें सफल ना हो सके। यह जगह कई दशकों से पर्यटक भी देखने आ जाते है। वहां के राष्ट्रपति ने पर्यावरणीय हानि के कारणवश इसे बंद करने का निर्देश दिया है।




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