इंस्पेक्टर अनिल कपरवान-मर्डर मिस्ट्री के मास्टर

इंस्पेक्टर अनिल कपरवान-मर्डर मिस्ट्री के मास्टर

मुजफ्फरनगर। जनपद मुजफ्फरनगर के थाना कोतवाली नगर में प्रभारी निरीक्षक के पद पर तैनात इंस्पेक्टर अनिल कपरवान मर्डर मिस्ट्री के मास्टर माने जाते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान इसको साबित भी किया है। कोतवाली नगर थाना क्षेत्र में उनके कार्यकाल में हुई नौ मर्डर मिस्ट्री पुलिस के लिए सिरदर्द बनती इससे पहले ही इन ब्लाइंड मर्डर केस को इंस्पेक्टर अलिन कपरवान ने बेपर्दा कर दिया। अपने कार्यकाल में अभी तक इंस्पेक्टर अनिल कपरवान 9 ऐसे कत्ल के राज को साजिश की कब्र से खोदकर कानून की रोशनी में खोल चुके हैं, जिनके मुकदमे अज्ञात में दर्ज हुए और उनके हत्यारों का कोई सुराग तक भी सामने नहीं था। इनमें कई केस ऐसे रहे जो पूरी तरह से ब्लाइंड थे, लेकिन इन मर्डर केस के अनावरण के लिए इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने अपनी आंखें खुली रखीं और वह अल्प समय में ही इन हत्याओं के राज खोलने में कामयाब हुए। इन 9 हत्याओं में से चार मामलों की विवेचना स्वयं अनिल कपरवान ने की। इनमें युवा अधिवक्ता समीर सैफी मर्डर केस सबसे महत्वपूर्ण रहा, जो जनपद पुलिस के लिए भी एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया था। अनिल कपरवान ने अधिवक्ता समीर सैफी के प्रकरण में सूझबूझ दिखाते हुए 72 घंटे के अंतराल में ही अनावरण किया। शहर कोतवाली क्षेत्र में उनके कार्यकाल के दौरान जब भी चुनौतीपूर्ण वारदात सामने आयी, इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने बेहतर परिणाम दिये। इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने ब्लाइंड मर्डर केस को मर्डर मिस्ट्री बनने की चुनौती के पहले ही जिस प्रकार से सुझलाया है, वह प्रशंसनीय रहा है, खुद एसएसपी अभिषेक यादव ने भी इसके लिए उनकी प्रशंसा की थी।

थाना कोतवाली नगर के प्रभारी निरीक्षक के रूप में इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने 9 ब्लाइंड मर्डर केस को बेपर्दा किया। इनमें कई ऐसे मामले थे, जो बड़ी चुनौती बने उनकी उपलब्धि पर पेश है 'खोजी न्यूज' की स्पेशल स्टोरी.....

1.समीर हत्याकांड-अपराधियों के दिमाग को पढ़कर दी शिकस्त


शहर कोतवाली क्षेत्र के सबसे सनसनीखेज और चर्चित कांड में शामिल हुई अधिवक्ता समीर सैफी मर्डर मिस्ट्री को थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने मास्टर स्ट्रोक के साथ खोला, इस केस में उनका मास्टर स्ट्रोक यह रहा कि उन्होंने अपराधियों के हर भ्रम जाल को उनका ही दिमाग पढ़कर कतरने का काम किया। पुलिस ने मुख्य हत्यारोपी सिंगोल अल्वी पुत्र मुतकी निवासी गढी गोरवान बकरा मार्किट को इस भ्रम में रखा कि वह पुलिस को चकमा देने में सफल हो गया है। जब शुरूआती पूछताछ में सिंगोल अल्वी के खिलाफ कुछ भी सुबूत पुलिस के हाथ नहीं लग पाये और समीर के मोबाइल की लोकेशन व एसएमएस से पुलिस भ्रमित होती रही तो इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने सिंगूल के सामने एक 'मायावी नाटक' रचा। सीडीआर के आधार पर सिंगोल को बताया गया कि पुलिस को समीर की लोकेशन मिल गई है। समीर दिल्ली में है और उसे लाने के लिए पुलिस टीम रवाना हो चुकी है। सिंगोल संतुष्ट हो गया कि पुलिस गच्चा खा गयी है, जबकि अनिल कपरवान सिंगोल और उसके साथियों की समीर के गायब होने वाली शाम 15 अक्टूबर और इसके बाद की लोकेशन लेने में जुट गये। उनके मोबाइल फोन को जब सर्विलांस के पैमाने पर परखा गया तो सारी कहानी सामने आ चुकी थी। बस इन कडियों को सिंगोल के झूठ से जोड़ने की आवश्यकता थी। तस्वीर साफ तो हो चुकी थी, लेकिन पुलिस के हाथ कुछ कच्चे पक्के से सुबूतों के अलावा पुख्ता कुछ नहीं था, लेकिन जब इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने पूरी दृढ़ता के साथ इन कच्चे सबूतों को पुख्ता तौर पर सिंगोल के सामने रखने का नाटक किया तो वह पुलिस के भ्रमजाल को नहीं भेद पाया और टूट गया। इसके साथ ही अनिल कपरवान समीर सैफी ब्लाइंड मर्डर केस से पर्दा उठाने में सफल हुए तो एसएसपी अभिषेक यादव ने भी उनकी सूझबूझ की प्रशंसा करने में देर नहीं की।

2. सुनीता मर्डर-दिल की सुनी, निर्दोष को बचाया


इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने कोतवाली के पास ही एक वयोवृद्ध महिला सुनीता के ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा कर अपने आला अफसरों एवं क्षेत्र की जनता में वाहवाही बटोरी। यह मर्डर मिस्ट्री पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी, क्योंकि 56 साल की सुनीता की किसी से रंजिश की घटना तथा मौके पर लूट की वजह भी सामने नही आ रही थी। पुलिस ने हत्या के बाद महिला के शव के पास से उसके बेटे वीशू को पकड़ा था। पूछताछ में महिला के बेटे वीशू का बार बार ब्यान बदलना भी पुलिस जांच को भटका रहा था। सबको लग रहा था कि वीशू ने ही अपनी माँ की हत्या की है। परिस्थितयां भी उसके खिलाफ गवाही दे रही थी। दो दिनों तक वीशू को हिरासत में रखा गया। परिजन भी परेशान थे कि वीशू ऐसा कैसे कर सकता है। उलझनों से भरपूर इस मर्डर मिस्ट्री में इंस्पेक्टर कोतवाली अनिल कपरवान ने अपने दिमाग को दरकिनार करते हुए दिल की बात को सुना। उनका दिल कह रहा था कि वीशू अपनी मां की हत्या नहीं कर सकता है, लेकिन दिमाग सुबूतों की ओर ले जाकर वीशू को ही कातिल साबित कर रहा था। इस मर्डर मिस्ट्री को लेकर दिल व दिगाम के द्वंद्व में उलझे इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने कुछ ओर प्रयास किया, इस दौरान डॉग स्क्वॉड को घटनास्थल पर छोड़ा गया, लेकिन वह बिल्डिंग में घूमने के बाद जीने से नीचे उतरकर गली में आकर रुक गया। कुछ भी समझ में नहीं आ पा रहा था। हत्या की इस सनसनीखेज वारदात के बाद पुलिस ने रुड़की रोड स्थित प्रतिष्ठानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालते हुए हत्यारोपी की तलाश की। घटना के समय परशुराम जयंती की शोभायात्रा निकलने के चलते पुलिस को फुटेज में किसी तरह के सुराग मिलने की संभावना कम ही नजर आ रही थी लेकिन घटना के बाद से क्राइम कंट्रोल के मास्टर कहे जाने वाले अनिल कपरवान अपनी टीम के साथ इस घटना की कड़ियां जोड़ने में लगे रहे और सीसीटीवी फुटेज से उन्होंने जयंती पर उमड़ी भीड़ के बीच से असली कातिल को ढूंढ निकाला। सुनीता की हत्या घर में चोरी के लिए घुसे एक शातिर रिजवान पुत्र अकमल निवासी किदवईनगर ने की थी। अनिल कपरवान की सूझबूझ से इस केस में एक निर्दोष बेटा जेल जाने से बचा।

3. हुमा हत्याकांड को 5 दिन में किया बेपर्दा

ऐसा नही है कि कोतवाल अनिल कपरवान ने सुनीता कत्ल का खुलासा ही इतनी जल्दी किया है। इससे पहले भी वह कई मर्ड़र मिस्ट्री का खुलासा कर चुके है। गौरतलब है कि 11 अप्रैल को अम्बा विहार में हुई हुमा पत्नी रहीस अहमद की हत्या का खुलासा भी अनिल कपरवान ने घटना के 5 दिन बाद ही कर दिया था। हुमा की हत्या भी एक मर्डर मिस्ट्री मानी जा रही थी, लेकिन अनिल कपरवान ने अपनी टीम के साथ इस केस में बेहतरीन परिणाम के साथ सफलता अर्जित की। हुमा मर्डर केस में रहीस ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। हुमा का कत्ल अम्बा विहार निवासी अमन पुत्र मौ. अफजाल ने किया था।

4. 13 वर्षीय किशोर जुबेर की मर्डर मिस्ट्री-80 घंटे में ओपन हुआ ब्लाइंड केस


दिनांक 23 अगस्त 2018 को सुबह 8 बजे शहर कोतवाली क्षेत्र के शहाबुद्दीनपुर रोड बाईपास पर एक खाली प्लाट में 13 वर्षीय जुबेर पुत्र शहजाद निवासी लद्दावाला का शव पड़ा मिला था। सोनू पुत्र असगर निवासी सन्धावली ने अज्ञात में मुकदमा दर्ज कराया। तब से ही शहर कोतवाल अपनी टीम के सब इंस्पेक्टर अक्षय शर्मा सिपाही मनेंद्र, अमित तेवतिया, संदीप त्यागी, मोहित व रोहित तेवतिया के साथ मिलकर इस मर्डर मिस्ट्री के खुलासे में जुट गए थे। इस हत्याकांड के खुलासे में सबसे बड़ी अड़चन मृतक बालक जुबैर की हत्या में कोई सुराग नहीं लगना था। यह पूरी तरह से ब्लाइंड केस था। जुबैर हत्याकांड की चुनौती को अनिल कपरवान ने स्वीकार ही नहीं किया, बल्कि इस केस की विवेचना उन्होंने स्वयं की। जुबेर का शव मिलने के बाद से दिनांक 26 अगस्त की दोपहर तक यानी 80 घंटे से भी कम समय में अनिल कपरवान ने इस घटना को वर्कआउट करते हुए जुबैर की हत्या में शामिल बाल अपराधी फैसल पुत्र आमिर, फैसल पुत्र सलीम, अनस उर्फ पुन्ना पुत्र नईम, शमीम उर्फ बिज्जू पुत्र आसिफ, वाजिद पुत्र सोनू निवासीगण शहाबुद्दीनपुर रोड थाना कोतवाली को गिरफ्तार किया। पुलिस पूछताछ में इन नव युवकों ने हत्या की घटना कबूल करते हुए बताया की 18 अगस्त 2018 को दोपहर में मृतक जुबेर का फैसल, शमीम व वाजिद से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था। इसी रंजिश में जुबैर को खाली प्लाट पर ले जाकर उसकी हत्या कर दी गयी।

5. अवैध सम्बंधों की भेंट चढ़ा 14 वर्षीय दीपक

मासूम जुबैर जैसा ही एक अन्य ब्लाइंड केस शहर कोतवाली में आया। गांव वहलना निवासी सोहन का 14 वर्षीय बेटा दीपक 08 जून 2018 की सुबह खेतों में काम करने के लिए गया था। काफी देर तक वह लौट कर नहीं आया, तो परिजन उसकी तलाश में खेतों पर गए थे। वहां दीपक की गर्दन कटी लाश पड़ी मिली थी। शोर मचा था कि दीपक पर किसी जंगली जानवर ने हमला किया है। इस शोर को बुलन्द करने में गौरव नामक युवक ज्यादा शामिल था। साथ ही गौरव समेत कुछ ग्रामीणों ने शव का पोस्टमार्टम कराने से इंकार किया था। तब पुलिस के समझाने पर परिजन पोस्टमार्टम कराने को तैयार हुए थे। तभी से अनिल कपरवान को शक था कि मामला जानवर के हमले का नहीं मर्डर का है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया था कि मौत जानवर के हमले से नहीं, बल्कि गर्दन पर घातक चोट पहुंचाने से हुई थी। शहर कोतवाल अनिल कपरवान इसमें जुटे तो पता चला कि गांव के ही गौरव कुमार पुत्र मुंशीराम पाल ने दीपक की हत्या की थी। उसे हिरासत में ले कर पूछताछ की तो उसने अपने जुर्म कबूल कर लिया। दीपक ने खेत में गौरव और उसकी चाची को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। दीपक कहीं यह सब गांव में ना जाकर बता दे? इस पर गौरव ने तुरंत ही उसको पकड़ा और मौका पाकर फावड़े से उसकी गर्दन काट कर हत्या कर दी। गौरव के साथ दीपक की चाचाी विमलेश पत्नी महेन्द्र को जेल भेजा गया।

6. मर्डर मिस्ट्री बने सूफी अब्दुल सलाम का हत्यारा पकड़ा


खालापर में ब्लाइंड मर्डर मिस्ट्री बने सूफी हत्याकाण्ड का पर्दाफाश करने में अनिल कपरवान सफल रहे। यह पूरी तरह से ब्लाइंड केस था। मौहल्ला खालापार में कब्रिस्तान के निकट रहने वाले 65 वर्षीय वृद्ध सूफी अब्दुल सलाम पुत्र अब्दुल वहाब की 27 जनवरी 2020 को गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। सूफी की हत्या घर में घुसकर की गयी थी और हत्यारोपी फरार हो गया था, मृतक के पुत्र शाकिर की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाने के कारण यह केस मर्डर मिस्ट्री बन गया था। शहर कोतवाली प्रभारी अनिल कपरवान ने भी हार नहीं मानी और छह माह बाद इस मर्डर मिस्ट्री से पर्दा उठा। सूफी अब्दुल सलाम की हत्या हिस्ट्रीशीटर नजर कुरैशी पुत्र अंधा यासीन निवासी फिरदौस नगर ने की थी। नजर व उसके कुछ साथी सूफी अब्दुल सलाम के घर के पास स्थित प्लॉट में अवैध कटान के लिए गाडियों से पशुओं को उतारते थे। सूफी अब्दुल सलाम इसका विरोध करता था जिसके चलते नजर कुरैशी ने अब्दुल सलाम की हत्या कर दी थी।

7. हरियाणा के सपेरे की पीटकर हत्या, मुठभेड़ में पकड़ा हत्यारोपी

हरियाणा के सिरसा जिले के गांव मोरीवाला की सपेरे जाति के कुछ लोग मुजफ्फरनगर में देशी दवाइयां बेचने आए थे, बुढ़ाना मोड पर खांजापुर गांव के पास सड़क पर टैंट लगाकर वह रह रहे थे। एक रात इनके टैंट पर बदमाशों ने धावा बोला और इस डकैती का विरोध करने पर एक वृद्ध सपेरे जगरूप नाथ पुत्र लोकनाथ की लाठी डंडों से पीटकर हत्या कर दी। मारपीट में छह अन्य लोग भी घायल हो गए। इस घटना पर काफी हंगामा हुआ था। अनिल कपरवान ने मुकदमा दर्ज होने के बाद इन बदमाशों की तलाश में टीम लगायी और अनसाल्ड होते जा रहे इस केस को भी उन्होंने खोलने में सफलता पाई। एक दिन शहर के बुढ़ाना मोड़ स्थित रजवाहे की पटरी पर बदमाशों की सूचना पर पहुंची शहर कोतवाली पुलिस ने मुठभेड़ में 20 हजार के इनामी को पकड़ लिया। मुठभेड़ में बदमाश के पैर के साथ ही सिपाही के भी हाथ में गोली लगी। इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने बताया कि घायल बदमाश किदवईनगर निवासी इरफान उर्फ पहलवान था, जिस पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित रहा। इरफान सपेरे जगरूप नाथ की हत्या में वांछित था।

8. दिव्यांग धनबीर की हत्या का खुलासा


शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला रामपुरी निवासी दिव्यांग धनबीर की मौत की पहेली को भी अनिल कपरवान ने मर्डर मिस्ट्री बनने से पहले सुलझाया। धनबीर की मौत को पहले हादसा माना जा रहा था, लेकिन इंस्पेक्टर अनिल कपरवान इसे मानने को तैयार नहीं थे। मूल रूप से छपार थाना क्षेत्र के गांव बिजोपुरा निवासी धनबीर सिंह (50) पुत्र पीतम सिंह काफी समय से यहां शहर के मोहल्ला रामपुरी में रहता था। गुजर-बसर के लिए धनबीर ने घर में ही कुछ पशु बांधकर दूध डेयरी खोली हुई थी। एक दिन की सुबह धनबीर का शव रुड़की रोड पर शाहबुद्दीनपुर रोड के पास पड़ा मिला था, जिसके चेहरे व सिर में चोट के कई निशान थे। पुलिस ने प्रथम दृष्टया हादसे में मौत की आशंका जताते हुए शव को कब्जे में लेकर मोर्चरी भेज दिया था। शहर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक अनिल कपरवान को शक था कि यह हादसा दर्शाया जा रहा है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में धनबीर की मौत को लेकर जो खुलासा हुआ वह इंस्पेक्टर अनिल के शक को सही ठहरा गया। इसमें धनबीर की मौत हादसे में नहीं होने की पुष्टि हुई। धनबीर के भाई सतीश की तहरीर पर अज्ञात हत्यारोपियों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई। अनिल कपरवान ने इस मामले में आकाश पुत्र पुरुषोत्तम निवासी देवलोक मेरठ व उसके तीन साथियों को गिरफ्तार किया तो धनबीर की हत्या के राज से पर्दा उठ गया।

9. उलझन बना था बंद बोरी में मिली अफशा की लाश का किस्सा

मुजफ्फरनगर शहर कोतवाली क्षेत्र में 05 अप्रैल 2018 को काली नदी में बंद बोरी में मिली एक युवती की लाश का किस्सा पुलिस के लिए अबूझ पहेली बनकर रह गया था। इस उलझन को सुलझाने में पुलिस को कई बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। जब काली नदी से युवती की लाश निकालकर पुलिस ने शिनाख्त का प्रयास किया तो विफल रही और शव पीएम हाउस भिजवा दिया गया। अगले ही दिन कोतवाली पहुंचे गांव भंडूर निवासी कुछ लोगों ने शव की शिनाख्त अपनी बेटी नाजरीन के रूप में की थी। पुलिस ने शव उनको सौंप दिया और इस अज्ञात शव की कहानी खत्म समझने लगे।


नाजरीन 24 मार्च से लापता थी। कुछ दिन बाद नाजरीन को पुलिस ने जयपुर से उसके प्रेमी के साथ बरामद कर लिया था। इसके बाद बंद बोरी की अज्ञात युवती की लाश फिर से कोतवाली पुलिस का सिरदर्द बन गयी। इस लाश के मिलने के दो माह बाद एक व्यक्ति नूर अहमद निवासी न्याजूपुरा इंस्पेक्टर अनिल कपरवान से मिला। उसने बंद बोरी की लाश से पर्दा उठाते हुए बताया कि वह लाश उसकी बेटी अफशा की थी। नूर अहमद ने बताया कि अफशा घर से फरार हो गई थी, बाद में उसका शव मिला, उसी दिन उसने उसकी पहचान कर ली थी, लेकिन अफशा इससे पहले भी दो बार घर से फरार हो गई थी, वह लोक-लाज के कारण खामोश रहा। नूर अहमद ने पुलिस ने बेटी के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने शिनाख्त के चंद दिनों बाद 16 जुलाई को इस केस का खुलासा कर दिया। अफशा की हत्या के आरोप में इरशाद पुत्र अशरफ निवासी मिमलाना रोड और गुलशेर पुत्र शफीक निवासी रथेडी जेल भेजे गये।

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