गुर्दे के कैंसर का सस्ता इलाज मिशन शिफा ए रहमानी की मदद से

गुर्दे के कैंसर का सस्ता इलाज मिशन शिफा ए रहमानी की मदद से
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इंदौर । पिछले दिनों आपने फेसबुक पर एक के बाद एक बहुत सारे बच्चो के गुर्दे के कैंसर के लिए ऑपरेशन करने के लिए 10 लाख से 15 लाख रुपयों की मदद की अपील देखी और आपने उन ज़रूरतमंद बच्चों के आपरेशन के लिए "मिलाप और किट्टो" फण्ड रेज़िंग साईट पर मदद भी की

में अभी देख रहा हूँ की सबसे ज़्यादा वायरल अपील पर 7 लाख 80 हजार के करीब मदद आ भी चुकी हे ! सवाल यह हे की उम्मत का यह लाखो रूपये क्या सही जगह पर इस्तेमाल हो रहे हे ? क्या हक़ीक़त में इस बीमारी के इलाज में इतने रुपयों की ज़रूरत हे ???

इसको स्टेप बाए स्टेप समझते हें ~


1)यह विलम्स ट्यूमर हे क्या ?

2) इसका इलाज का प्राथमिक तरीका क्या है ? क्या इस विलम्स ट्यूमर को ऑपरेशन के द्वारा निकला जा सकता हे ?)

3 ) आपरेशन के बाद कीमोथेरेपी या रेडियो थेरेपी की जरूरत हे ?

4) इस बीमारी के आपरेशन के बाद दूसरी थेरेपी के लिए कितने रुपयों की अनुमानित ज़रुरत है ?

विलम्स ट्यूमर जिसको मेडिकल की भाषा में "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का कैंसर" कहते हे यह आमतौर पर 2 साल की उम्र से लेकर 4 साल के बच्चो में होता हे लेकिन कभी कभी 6 माह के बच्चो ,में भी हो जाता हे , व 5 साल से बड़े बच्चो में बहुत ही कम दिखता हे

आम तोर पर यह विलम्स ट्यूमरया "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का कैंसर" एक ही गुर्दे में होता हे लेकिन विरले केसो में यह दोनों गुर्दो में भी दिखता हे ।

*लक्षण* : पेट में गठान महसूस होना , पेट में सूजन दिखना , कभी कभी पेट में दर्द होना , बुखार , पेशाब में खून का आना , साँस फूलना , बच्चे का ब्लड प्रेशर बढ़ जाना , जी मचलाना , उल्टी होना ,

*कारण* : ज़्यादातर केसो में यह विलम्स ट्यूमरया "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का कैंसर" का कारण पता नहीं हे... लेकिन ज़्यादातर अनु वंशिक गुण सूत्र इसके लिए ज़िम्मेदार हे... यानि परिवार में किसी न किसी को कैंसर या विलम्स ट्यूमरया "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का कैंसर" की हिस्ट्री पायी जाती हे ।

*बचाव* : विलम्स ट्युमर या "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का कैंसर" से बच्चे को किसी तरह से बचाया नहीं जा सकता हे ! अगर उसको होना हे तो वह होकर रहेगा... लेकिन समय से पहले उसका पता लगाया जा सकता हे , यदि परिवार में कैंसर की हिस्ट्री हे ! तो पेट की सोनो ग्राफी या सी टी स्केन या एम आर आई से बीमारी की शुरुवात में ही पता लगाया जा सकता हे ।

*डायग्नोसिस* : पेट की सोनो ग्राफी , सी टी स्केन या एम आर आई से बीमारी के डायग्नोसिस में बहुत आसानी हो गयी हे , बच्चे को शारीरिक रूप से सर्जन परिक्षण करता हे... पेशाब और खून की जांचो से गुर्दे के काम करने को समझता हे... कई बार डाक्टर चेस्ट एक्स-रे व सी टी स्केन... बोन न्यूक्लियर पेट स्केन भी करता हे... यह देखने के लिए की बीमारी शरीर के कितने हिस्से में फेल चुकी हे...

*इलाज के लिए रुपरेखा बनाना* :

किसी भी मरीज़ का इलाज करने के लिए अमेरिकन विलम्स ट्युमर राष्ट्रीय कैंसर शोध के तहत 5 अवस्था में बांटा गया हे ।

1) ट्युमर की गठान सिर्फ एक ही गुर्दे में हे तो उसे पूरी तरह से ऑपरेशन से निकाल दिया जाता हे

2) "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का केंसर या विलम्स ट्युमर की गठान " गुर्दे के आस पास फेल चूकि हे और रक्त वाहिनी और चर्बी में पहुंच चुकी हे , इस अवस्था में भी ट्युमर की गठान को गुर्दे के साथ साथ पूरा की पूरा निकाला जा सकता हे ।

3) "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का केंसर या विलम्स ट्युमर की गठान या केंसर गुर्दे के आस पास फेल कर शरीर की लसिका ग्रंथि या लिम्फ नोडस में फेल चूका हो या फिर पेट में ही इतना आकर बढ़ा लिया हो की आपरेशन से पुरे केंसर को निकलना संभव नहीं हो सर्जन पूरा केंसर निकाल न पाए ।

4) "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का केंसर या विलम्स ट्युमर की गठान या केंसर गुर्दे के आस पास के अलावा फेफड़ो में , लिवर में , हड्डियों में या मस्तिष्क तक चला गया हो ।

5) "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का केंसर या विलम्स ट्युमर की गठान या केंसर दोनों गुर्दो में फेल चूका हो ।

*इलाज* : "नेफ्रो ब्लास्टोमा या गुर्दे का केंसर या विलम्स ट्युमर की गठान या केंसर का इलाज मुख्यतः 2 तरह से करते हे , यदि केंसर की गठान बहुत ज़्यादा फेल न गयी हो तो पहली पसंद आपरेशन करके गुर्दे केसाथ साथ केंसर की गठान और आस पास की लिम्फ नॉड्स को निकाल दिया जाता हे , आप्रेशन में निकले गए सभी सेम्पल्स को हिस्टोपेथोलॉजिस्ट के पास जाँच के लिए भेजा जाता हे और उनकी रिपोर्ट्स के आधार पर *कीमोथेरपी का निर्धारण किया जाता हे... बहुत ही बिरले केस में कई बार रेडिएशन से सिकाई भी की जाती हे*

*सामान्यतः"मिशन शिफा ए रहमानी" में हमने यह अनुभव किया हे की ऑपरेशन के पहले कीमोथेरपी देने से केंसर की गठान के साइज़ में 2% तक कमी आती हे लेकिन उसके बाद आपरेशन करने से मरीज़ की बीमारी से लड़ने की क्षमता में कमी आती हे अतः पहले मरीज़ का ऑपरेशन हो जाना चाहिए जितना भी आँखों से दिखाई देने वाला केंसर और उसकी गठान हे किडनी के साथ निकाल देना चाहिए* ।

*खर्चा* : *हुम्म्म !!! यह 10 लाख 15 लाख का खर्चा क्या होता हे भाई ??? उम्मत के सदक़े का माल इस तरह मत लूटने दीजिये*

*इंदौर में NABH राष्ट्रीय स्वास्थ्य के मानदंडों को पूरा करने वाले हॉस्पीटल मे पीडियाट्रिक सर्जन डाक्टर मुफ्फज़्ज़ल रस्सीवाला... कैंसर सर्जन डाक्टर नयन गुप्ता... बच्चों को बेहोश करने के विशेषज्ञ डाक्टर नरेन्द्र ददरवाल व बच्चों की फिटनेस और विशेष देख भाल के लिए डॉक्टर सोरभ अग्रवाल साहब की टीम जिसमे बच्चो के सर्जरी में मास्टर आफ चेयर बच्चो के केंसर रोग के विशेषज्ञों की टीम इस आपरेशन को सम्पन्न करती हे और मात्र दो लाख रुपयों 200,000 से ढाई लाख रुपयों 2,50,000 में सब कुछ अल्लाह के एहसान से निपट जाता हे...*

शैल्बी हास्पिटल का और सभी स्टाफ का मिशन शिफा ए रहमानी शुक्र गुज़ार हे अब तक कामयाबी के साथ केई बच्चों के आपरेशन हो चुके हे और उनके वालेदेन मुस्कुराहटे लेकर वापस लोटे है...

Riz Khan 9753639961

Shakil Sheikh 9755047070

Mission Shifa A Rehmani


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