उड़ता एमपी नहीं बनने देंगे शिवराज सिंह चौहान

उड़ता एमपी नहीं बनने देंगे शिवराज सिंह चौहान

भोपाल। आतंकवाद, नक्सलवाद और अलगाववाद की तरह ही अब नशा भी हमारे देश को खोखला कर रहा है। अभिनेता सुशांत की संदिग्ध मौत के पीछे नशे के धंधे की भी जांच हो रही है और इसका बहुत मजबूत जाल सामने आया है। भांग, गांजा, अफीम और शराब के साथ अब कोकीन, होरोइन और अन्य कई तरह की नशीली गोलियां व इंजेक्शन देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं। पंजाब में नशे के बढ़ते प्रभाव ने ही वहां की सरकार को बिदा कर दिया। उड़ता पंजाब जैसी फिल्म बनायी गयी लेकिन ड्रग का कारोबार किसी एक राज्य तक ही सीमित नहीं है। मध्य प्रदेश में भी मादक पदार्थों का कारोबार बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। खबर आयी कि यहां बांग्लादेश से युवतियों को लाकर नशे का आदी बनाया जाता है और उनसे देह व्यापार कराया जाता है। इंदौर में एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत 11 दिसम्बर को इसी समस्या को लेकर आपातकालीन बैठक बुलाई और कहा कि हम एमपी को उड़ता पंजाब नहीं बनने देंगे। मुख्यमंत्री चैहान ने कहा कि ड्रग्स और नशीली वस्तु का कारोबार करने वाले मानवता के दुश्मन है। इन्हें किसी भी हालत में छोड़ा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह कही कि नशा करने वाले बच्चों के प्रति हमें सहानुभूति रखनी चाहिए क्योंकि उन्हें बरगलाया जा रहा है लेकिन ड्रग्स और नशीली वस्तुओं का कारोबार करने वालों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाए। उन्होंने मध्य प्रदेश में एक विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। देश में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो भी 15 से 22 दिसम्बर तक नशा विरोधी विशेष अभियान चलाने वाले हैं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 11 दिसम्बर को बताया कि राज्य की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है जो बांग्लादेशी युवतियों को मानव तस्करी के जरिये लाकर पहले उन्हें ड्रग्स की लत लगाता था और बाद में उन्हें देह व्यापार में धकेल देता था। चौहान ने शहर के देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर संवाददाताओं को बताया, यहां बांग्लादेशी लड़कियां लाई जाती हैं और उन्हें ड्रग्स की लत लगाकर देह व्यापार में धकेला जाता है। पुलिस ने ऐसी 21 युवतियों को गिरोहबाजों के चंगुल से कुछ दिन पहले ही मुक्त कराया है और नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि गिरोहबाजों के नेटवर्क के भंडाफोड़ के लिए राज्य पुलिस की टीमें गुजरात एवं अन्य राज्यों में भेजी गईं। उन्होंने बताया कि जांच में यह खुलासा भी हुआ कि गिरोहबाजों के तार नाइजीरियाई मूल के ड्रग्स विक्रेताओं से जुड़े हैं। चौहान ने बताया कि उन्होंने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वह ड्रग्स तथा देह व्यापार से जुड़े गिरोहों को पूरी तरह नेस्तनाबूद करने के लिए केंद्र सरकार के संबंधित विभागों और अन्य राज्यों को पुलिस के साथ तालमेल बैठाए। उन्होंने बताया, इंदौर में ड्रग्स के खिलाफ जारी अभियान में हमें चौकाने वाले सूत्र मिल रहे हैं। पता चला है कि शहर की कुछ जिमों में प्रशिक्षण देने वाले लोग भी ड्रग्स कारोबार में शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने बताया, पहले ये जिम प्रशिक्षक युवाओं को ड्रग्स की लत लगवाते हैं। फिर वे इन युवाओं को ड्रग विक्रेता बनाकर नशे के कारोबार में धकेल देते हैं। उन्होंने बताया कि शहर के ड्रग्स गिरोहों से जुड़े लोगों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। इसके साथ ही उनकी अवैध संपत्तियां

ध्वस्त की जा रही हैं ताकि उनकी आर्थिक कमर भी तोड़ी जा सके। मुख्यमंत्री ने शहर में एक नशा मुक्ति केंद्र का हवाई अड्डे से ही ई-लोकर्पण किया। इस मौके पर राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे।

हमारे देश में अचानक कोई धनी-मानी हाथ लग जाए तो थोड़े समय के लिए असली समस्या पीछे ठेल दी जाती है और इस तरह अंतरराष्ट्रीय तस्करी, तीखे नशे की गोलियां और रासायनिक मादक पदार्थों का धंधा, किशोर-किशोरियों को लगती लत सब पर परदा पड़ जाता है।

जरा इन दो घटनाओं का फर्क और उन पर सरकारी एजेंसियों और लोगों की प्रतिक्रिया पर गौर कीजिए, जिससे अंदाजा लगता है कि हम असली समस्या के प्रति कितने गंभीर हैं और आखिर हमारी नजर कहां है।

पिछले दिनों मीडिया ट्रायल की शिकार एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती हुई जिसे आखिरकार ड्रग्स सिंडिकेट का सक्रिय सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। मामला सह-आरोपियों करन अरोड़ा और अब्बास रमजान अली लखानी के पास से मिले महज 59 ग्राम मारिजुयाना पर टिका है। मारिजुयाना या गांजा भारत में अपेक्षाकृत एक हल्के पारंपरिक नशे की वस्तु है, जिसके प्रति धीरे-धीरे दुनिया भर में नजरिया बदलता जा रहा है और कानूनी तथा मेडिकल वर्जनाएं हल्की पड़ने लगी हैं। दूसरा मामला तो नशे के ठेकेदारों के गिरोह का है। सुशांत सिंह राजपूत-रिया चक्रवर्ती प्रकरण के सुर्खियों में छाने के करीब दस महीने पहले मैक्सिको के सिनालोआ कार्टेल परिवार के कुछ सदस्य जयपुर आए थे। बेशक, दावा यही था कि वे पर्यटन के लिए आए। सिनालोआ को अमेरिकी सरकार "दुनिया भर में ड्रग सप्लाई के लिए अब तक का सबसे ताकतवर ड्रग सिंडिकेट" बताती है। उस वक्त खुफिया एजेंसियों ने सिनालोआ कार्टेल के सदस्यों की यात्रा पर सतर्क किया था, लेकिन किसी भी सरकारी एजेंसी ने उस अलर्ट पर हरकत में आने की जहमत नहीं समझी। उन एजेंसियों में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) भी था। मीडिया में भी कहीं कोई हरकत नहीं हुई। सिनालोआ सिंडिकेट मुख्य रूप से कोकीन, हेरोइन और मेथाफेटामाइन जैसे कड़े नशे का धंधा करता है।

इन दोनों घटनाओं में एजेंसियों की प्रतिक्रिया का फर्क हैरान करने वाला है, और इससे पता चलता है कि पूरा तंत्र कैसे काम करता है। दरअसल, असली अपराधियों पर फंदा डालने के लिए ऐसा कुछ होता भी नहीं है, उसमें तो खुफिया तंत्र चुपचाप काम करता है। सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, "सिनालोआ कार्टेल के सदस्य भारत में क्यों आए थे, उनकी जयपुर यात्रा के पीछे की कहानी क्या है, वे यहां किन लोगों से मिले, इन सब चीजों को जानने की कोई कोशिश नहीं की गई।" इसी तरह, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटरिएट (एनएससीएस) ने एनसीबी को अफगानिस्तान- पाकिस्तान बॉर्डर पर ड्रग का काला धंधा करने वाले अफगान ड्रग माफिया लॉर्ड हाजी सलीम के बारे में जानकारी दी थी। ऐसा माना जाता है कि भारत में हेरोइन की बड़ी खेप में तस्करी का जिम्मेदार सलीम ही है। पिछले चार वर्षों में भारत में हेरोइन की खेप एक बार में 100 किलोग्राम से लेकर 1500 किलोग्राम तक पकड़ी गई है। एजेंसियों का मानना है, यह सभी हेरोइन सलीम के जरिए ही आई थी। सूत्रों के अनुसार, सलीम भारत में हेरोइन की ज्यादातर तस्करी अरब सागर के रास्ते करता है।

यह लापरवाही गंभीर है और कड़े नशे की तस्करी के सभी डेटा यही बताते हैं कि इसकी उपलब्धता कठिन नहीं है। इसलिए कई जानकारों को संदेह होता है कि अनेक स्तरों पर सांठगांठ जारी है। एनसीबी का ध्यान इस पर तो नहीं या कम दिखता है, जबकि हाई-प्रोफाइल मामलों को वह फौरन लपक रही है। अमूमन यह एजेंसी व्यक्तियों के पास थोड़ी-बहुत नशे की खपत पर हाथ नहीं डालती है। इस देश में गांजा, भांग, चरस और कुछ हद तक अफीम का इस्तेमाल संस्कृति का हिस्सा है, इसलिए अधिकारी व्यक्तिगत खपत के मामलों को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। एम्स में नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी) के 2019 के एक सर्वेक्षण का अनुमान है कि देश में 3.1 करोड़ लोग मारिजुयाना का सेवन करते हैं। मुंबई पुलिस के नारकोटिक्स सेल के एक अधिकारी कहते हैं, "अगर हम ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने लगें तो हरिद्वार और पुरी में रहने वाले साधु जो अपनी चिलम में गांजा भर कर पीते हैं, पुष्कर मेले में आने वाले पर्यटक जो चरस का सेवन करते हैं, होली के मौके पर भांग का इस्तेमाल करने वाले, राजस्थान में शादियों और दूसरे सामाजिक आयोजनों में अफीम का इस्तेमाल करने वाले सभी गिरफ्तार हो जाएंगे।" इस तरह यह मामला बेहद गंभीर है लेकिन कुर्सी की राजनीति इस पर क्या कोई ठोस कदम उठाएगी, उम्मीद नहीं है। (हिफी)

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