पैसे लेकर फर्जी नियुक्ति करने आरोप का कमिश्नर मुरादाबाद को जांच से सम्बन्धित अभिलेख 30 दिन में पेश करने के दिये आदेश

पैसे लेकर फर्जी नियुक्ति करने आरोप का कमिश्नर मुरादाबाद को जांच से सम्बन्धित अभिलेख 30 दिन में पेश करने के दिये आदेश

मुरादाबाद निवासी पवन अग्रवाल ने दिनांक 27.06.2015 को सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत जनसूचना अधिकारी, जिलाधिकारी, मुरादाबाद को आवेदन-पत्र देकर अपने संलग्नक पत्र दिनांक 19.06.2015 व 10.06.2015 में जिसमें उन्होंनेे जिला विद्यालय निरीक्षक श्रवण कुमार यादव द्वारा एच0एस0बी0 इण्टर कालेज में कार्यरत स्व0 जे0गोपाल के पुत्र अंकुर कुमार की फर्जी निुयक्ति बिना माध्यमिक शिक्षा चयन समिति (मृतक आश्रित) की बैठक व सदस्यों की अनुमति के बिना रू0 10,00,000 (रू0 दस लाख) लेकर कर दी गयी है, जिसको उनके द्वारा डिस्पैंच रजिस्टर पर दिनांक 18.06.2015 पर अंकित भी किया गया है, जबकि चयन समिति के सदस्य जिला विद्यालय निरीक्षक (वित्त एवं लेखाधिकारी,, बेसिक शिक्षा अधिकारी) की अनुपस्थित में कर दी गयी, ये दोनों अधिकारी दिनांक 18.06.2015 को मुख्यालय से बाहर थे। उक्त लिखित प्रकरण पर जिलाधिकारी से किये गये कार्यवाही की सूचना चाही गयी थी, परन्तु विभाग द्वारा पवन को कोई जानकारी न मिलने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर प्रकरण की जानकारी चाही है।
राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जनसूचना अधिकारी, जिलाधिकारी, मुरादाबाद को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि पवन के प्रार्थना-पत्र में उठाये गये समस्त बिन्दुओं की सभी सूचनाएं अगले 30 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से पवन को उपलब्ध कराते हुए आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि पवन को सूचना क्यों नहीं दी गयी है, क्यों न उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये।
जिलाधिकारी, मुरादाबाद की ओर से जमन सिंह उपस्थित हुए, उनके द्वारा जिला विद्यालय निरीक्षक की आख्या प्रस्तुत की गयी, डी0आई0ओ0एस0 के स्तर पर नियुक्तियों हेतु अनुमति दी जाती है तथा सम्पूर्ण चयन की कार्यवाही प्रबन्ध समिति द्वारा गठित चयन समिति द्वारा की जाती है। चयन समिति पूर्णरूप से चयन हेतु स्वतंत्र होती है, तथा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार चयन की कार्यवाही करती है, चयन समिति के गठन में न तो डी0आई0ओ0एस0 से कोई सलाह ली जाती है, और न ही कोई सूचना दी जाती है। सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया के पत्राजात अनुमोदनार्थ डी0आई0ओ0एस0 कार्यालय में प्रेषित किये जाते है। शिकायत में चयन हेतु नाम का खुलासा पूर्णरूप से काल्पनिक एवं मनगढ़त है, इस आशय की जानकारी प्रतिवादी ने आयोग को दी है।
सूचना आयुक्त द्वारा बहस सुनी गयी। चूंकि मामला जनहित से जुड़ा हुआ है। आयोग यह समझता है कि इस पूरे प्रकरण में जांच कराया जाना न्यायहित में है। इसलिए राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए, सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 18 (2) के तहत प्रकरण में जांच आरम्भ कर दी है। इसलिए कमिश्नर मुरादाबाद मण्डल को आदेशित किया जाता है कि पवन ओर संबंधित अधिकारी दोनों के बयान कलमबन्द करते हुए, जांच से सम्बन्धित सभी अभिलेख (आख्या) अगले 30 के अन्दर आयोग के समक्ष पेश करें, जिससे प्रकरण मे अन्तिम निर्णय लिया जा सके।
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