बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड, तलवार दम्पत्ति बरी

बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड, तलवार दम्पत्ति बरी

इलाहाबाद। देश भर में चर्चित रहे आरुषि-हेमराज हत्याकांड में आज इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आ गया है जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस एके मिश्रा की खंडपीठ ने तलवार दम्पत्ति को बरी कर दिया है अदालत ने संदेह के आधार पर किसी को सजा नहीं सुनाई जा सकती है गौरतलब है कि 16 मई 2008 की सुबह आरुषि (14) की लाश मिलने के बाद नोएडा पुलिस की ओर से नौकर हेमराज को हत्यारोपी बताया गया, अगले दिन उसकी लाश छत पर पड़ी मिली। करीब 7 दिन बाद 23 मई को आरुषि के पिता डॉ. राजेश तलवार को गिरफ्तार किया गया। 23 मई को आरुषि के पिता डॉ. राजेश तलवार को गिरफ्तार किया गया। दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने आरुषि की मां डॉ. नूपुर तलवार को साजिश में शामिल बताया था। नोएडा पुलिस की जांच पर सवाल उठे थे। इसके बाद 31 मई को केस सीबीआई को ट्रांसफर किया गया। जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार सिंह की टीम ने डॉ. तलवार के डेंटल क्लिनिक पर काम कर चुके कृष्णा, तलवार के नजदीकी दुर्रानी दंपती के नौकर राजकुमार और पड़ोस में काम करने वाले विजय मंडल को हत्याकांड का आरोपी माना। इसके बाद केस की जांच सितंबर 2009 में सीबीआई की दूसरी टीम ने शुरू की। इस टीम ने तीनों नौकरों को क्लीन चिट दी और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर तलवार दंपती को ही मुख्य आरोपी माना। सीबीआई ने दलील दी कि जोर जबरदस्ती किए जाने के कोई सबूत नहीं मिले। वारदात के बाद आरुषि के शव को ढकने, बिस्तर पर चादर को ठीक करने, प्राइवेट पार्ट्स को साफ करने और हेमराज की बॉडी को छिपाने का काम कोई बाहरी नहीं करेगा। हालांकि, इस टीम ने माना कि हेमराज का खून दंपती के कपड़ों पर नहीं मिला। वारदात के शामिल हथियार नहीं मिले। तलवार दंपती पर किए गए साइंटिफिक टेस्ट भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। टीम ने तलवार दंपती को आरोपी बताते हुए साक्ष्य न होने पर क्लोजर रिपोर्ट लगाई। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट में तब्दील कर तलवार दंपती पर केस चलाने के आदेश दिए। 26 नवंबर 2013 को आरुषि के माता-पिता को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। विशेष अदालत की सजा के खिलाफ तलवार दंपती ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस एके मिश्रा की खंडपीठ ने तलवार दंपति की अपील पर सात सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्टूबर को तय की थी। आज अदालत ने तलवार दम्पत्ति को बरी कर दिया है।

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